लकड़बग्घे के हाथ में शेर की सरकार

   जंगल के जानवरों के बीच बहुत कौतूहल का माहौल हैं, सब के सब परेशान और चिंतित नज़र आ रहे हैं । सबके चेहरे पर एक ही चिंता दिख रही थी कि पता न आज क्या होगा ? आज जंगल मे लकड़बग्घों ने सभा बुलाई है । जिसमें आसपास के जंगलों से भी लकड़बग्घों को बुलाया गया है । सब आज मिलकर जंगल के सभी जानवरों के भविष्य का निर्धारण करने वाले है । जंगल का राजा शेर को अब लगता है कि जंगल के जानवर कर(टैक्स) देने में ज्यादा आनाकानी कर रहे थे, इसलिए पूरे जंगल का कर उगाही का काम लकड़बग्घों को दे दिया है । लकड़बग्घा सभी जानवरों से उगाही करेगा उसके बाद शेर के ख़ज़ाने में एक हिस्सा जमा करेगा, शेष हिस्सा अपने पास रखेगा । चूंकि उगाही के लिए लकड़बग्घों को कर्मचारी नियुक्त करने पड़ेंगे और उन कर्मचारियों को मोटी तनख्वाह भी देनी होगी अतः कर की रकम वह तय करेगा ताकि न ही सरकार को नुकसान हो न ही उसकी कम्पनी को । 

             आसपास के सभी जंगलों से लकड़बग्घे झुंड के झुंड जंगल में आ रहे हैं । आज यह तय होगा कि किसको उगाही के लिए क्या रोल मिलता हैं, किसको किस स्तर पर उगाही का काम देखना है । कितना रकम उगाही किया जाए, किस-किस जानवर को विशेष छूट मिलेगी आदि सभी फैसले आज के सभा में लिया जाएगा । सभी जानवर भी TV के माध्यम से उस सभा पर नज़र बनाएं हुए हैं । सबकी यहीं चिंता हैं कि पता नहीं क्या होगा । उधर लकड़बग्घों का प्रवक्ता बार-बार मीडिया को सम्बोधित करके  बता रहा है कि किस तरह वह जानवरों के हित की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, और शेर का प्रवक्ता गला फाड़-फाड़ कर सरकार के इस फैसले का फायदा गिनाने में लगा है । जिसमें सबसे बड़ा फायदा जो बताया जा रहा है वह हैं कि सब जानवर अब अनुशासित हो जाएंगे, सरकारी समझ कर पहले बहुत हीलाहवाली करते थे । समय से कर नहीं देते थे, जिससे सरकार को लोककल्याणकारी योजनाओं को चलाने में बहुत दिक्कत आ रही थी । अब यह दिक्कत खत्म होने जा रही । 

              सभा शुरू हो गई है, मीडिया में भी उसका लगातार कवरेज चल रहा है । ब्रेकिंग न्यूज़ आ रहे हैं कि सभा ने पहला निर्णय लिया है कि कर उगाही का कार्यक्रम बहुत ही सख्त होगा, जो कर समय पर न देगा, लकड़बग्घे उसके घर की कुर्की जब्त कर लेंगे । इसके लिए शेर को खत लिखा जाएगा कि वह ऐसा आदेश पारित करें  । इसपर सभी लकड़बग्घों ने एक स्वर में अपनी सहमति दर्ज करवाई । सबका यहीं कहना है कि बिना डर के कोई भी जानवर समय से कर नहीं देगा । दूसरा प्रस्ताव यह पारित होता हैं कि कर में किसी प्रकार की छूट देने न देने का सब निर्णय लकड़बग्घे ही तय करेंगे, सरकार इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती । कर पहले से दोगुना होगा, ताकि एक हिस्सा सरकार को दिया जाए और एक हिस्सा से कम्पनी अपना खर्च चलाएगी । यह निर्णय सुनते ही सभी जानवर बेसुध हो गए । उन्होंने सरकार के इस फैसले के विरोध करने का फैसला किया । ताकि उनकी आवाज भी सरकार तक पहुँचे और सरकार अभी से भी जानवरों के हित की बात सोचने पर मजबूर हो । कल से जंगल में विशाल विरोध प्रदर्शन होगा । जिसमें सभी जानवर हिस्सा लेंगे । जानवर अपनी तैयारी में जुट गए । पोस्टर-बैनर छापने वाले सियार आज एकदम मालामाल हो गए हैं । बाघ को जैसे ही इस फैसले की ख़बर मिलती हैं उसकी बाँछे खिल जाती हैं । उसकी भी तो यहीं हसरत थी । अपने खाली जेब भरने का बहुत ही बेहतरीन अवसर हैं । जब से शेर ने खाने पर पाबंदी लगा दी थी, उसके बाद यह पहला मर्तबा हैं जब इस तरह का कोई आयोजन हो रहा था । बाघ ने फौरन कुछ मीडिया वालों को बुलाकर इस विशाल विरोध प्रदर्शन के नेतृत्व का बागडोर अपने हाथ में लेने के फैसलों को सुनाता है । ख़बर सरकार तक भी पहुँचती हैं और रातों रात ही तय किया गया कि इस आयोजन को तीतर-बितर करना है ।इसके लिए सरकार अपनी कमर कस लेती हैं । उसके पास जितने भी दंडाधिकारी हैं, सबकी छुट्टियाँ तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी जाती हैं और सभी जाति के जानवरों में से दंडाधिकारी को उसके सबसे निकटतम चिर प्रतिद्वंद्वी जानवरों के समूह पर मोर्चा संभालने को कहा जाता हैं ताकि उनके मन में अपने जाति के प्रति कोई मोह उतपन्न न हो और वो बगावत न कर दें । सभी दंडाधिकारी अपने चेले-चमचों को लेकर जुट गए हैं । आखिर सरकार का नमक खाये हैं तो सरकार का हुक्म भी बजाना पड़ेगा । विरोध सभा शुरू होने से पहले ही सभी जानवरों को पकड़कर जेल में डाल दिया जाता हैं । बाघ अपने रसूख का इस्तेमाल करके अब भी आजाद घूम रहा, सभी जेल गए जानवरों की तलाशी के बाद जो भी धन मिला है सब बाघ और सरकार मिल बाँटकर खाएंगे । तभी लकड़बग्घों ने अहम फैसला सुनाया कि आप चाहें जेल में हो या बाहर, कर आपको देना पड़ेगा । जो जानवर कर नहीं देगा, उसे एक -एक करके लकड़बग्घों, बाघों और शेर के आगे गिड़गिड़ाना होगा, जिसमें माँफी मिलने के बाद उसे दुनिया से छुट्टी मिल जाएगी और लकड़बग्घा, बाघ और शेर फिर उस माँस के लोथड़े को बड़े चाव से खाएंगे । आख़िर कर तो देना ही पड़ेगा, जिंदा या मुर्दा.........

           



उज्ज्वल सिंह 'उमंग'
हिंदी विभाग
काशी हिंदू विश्वविद्यालय
संपर्क सूत्र : 9169880135
ईमेल आईडी :- authoruksingh@gmail.com

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राम की शक्ति पूजा । विश्लेषण ।

असाध्य वीणा

हिंदी नाटकों के विकास में भारतेंदु हरिश्चंद्र का योगदान