बापू और शास्त्री जी को मेरा ख़त
मेरे प्रिय बापू और शास्त्री जी
सादर प्रणाम 🙏
मैं यहाँ ठीक हूँ, और आशा करता हूँ कि आपदोनों भी एकदम मस्त होंगे । एक ही ख़त इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि मैं दोनों में ही एक ही छवि देखता हूँ, जो भारत के लिए जीते थे । इस कलूटी राजनीति ने भले ही आपदोनों को अलग-अलग कर दिया और आपको ऐसे बाँट लिए जैसे बंदर नारियल बाँटते हैं लेकिन मेरे हृदय में आपदोनों एक ही जगह पर विराजते हैं, दोनों के योगदान को भूल नहीं सकता ।
यह ख़त आपको देश की दशा और दिशा बताने के लिए लिख रहा हूँ । आप भी देख देख दुःखी ही होते होंगे । जानता हूँ कि आपलोग का भी कलेजा मुँह को आ जाता होगा जब आप देखते होंगे कि कैसे अपने अहंकार को पूर्ण करने के लिए सत्य का गला घोंटा जा रहा है ।
बापू, आपके तीन बंदर आज भी वैसे ही है बस वो मूर्तियों से निकलकर साकार रूप ले लिए है । आपका मिजारु बंदर आज का मीडिया हो गया है । उसको कुछ दिखता ही नहीं है, उसके अनुसार देश में कोई समस्या नहीं है । उसको केवल फिल्मी सितारे, सरकार द्वारा चलाई गई प्रौपगेंडा और हिन्दू मुसलमान करने के अलावा कोई चीज़ नहीं दिखता । जैसे मीडिया सावन का अंधा हो, उसको सबकुछ हरा ही दिखता है । दूसरा आपका किकाजारू बंदर जो कान बन्द किया है वह आज सरकार चला रहे । बेचारी जनता भूख से, बीमारी से, परेशानी से, गरीबी से या दबंगों के द्वारा अपमानित होने से चीखती चिल्लाती भी रहे तब भी इनको सुनाई नहीं देता । शास्त्री जी, मैंने सुना हैं कि आपने पुलिस एवं परिवहन मंत्रालय में मंत्री रहते हुए भीड़ को नियंत्रण करने के लिए लाठी की जगह पानी की बौछार करने को बोले, लेकिन आज के मंत्री के ख़िलाफ़ ज़रा सी भीड़ जमा हुई नहीं कि मंत्री जी गोली चलवा देते हैं । बापू, आपका तीसरा इवाजारू बंदर जो मुँह बन्द किया था वह न्यायालय है । बापू, आज न्यायालय का हाल देखकर तरस आता है, बापू आप ही बताओ कि न्यायालय में आपको पीछे दीवाल पर टाँग कर, आपके नाक के नीचे कितने कुकर्म चल रहे, क्या न्यायालय आज षड्यंत्र नहीं रच रही ? बापू, आप ही बताओ, बेचारा गरीब आदमी को जब न्यायालय से भी न्याय न मिलेगा तो वो कहाँ जाएं ? भगवान भी तो जल्दी न्याय नहीं करते, नहीं तो उनके यहाँ गुहार लगाता, भगवान भी बैठे रहते है, जब दर्जनों गुहार पहुँचे तब फैसला सुनाए, बापू ! आपको तो पता ही होगा, न्याय की चाह में बेचारे कितने हमारे भाई-बहन इस लोक में अब नहीं रहे । प्लीज् बापू, आप तो भगवान के दरबार में रहते हो, आप वकील भी थे, प्लीज् इनके लिए गुहार लगाओ न ।
शास्त्री जी, आपने जिस भारत के सपने को लेकर प्रधानमंत्री बने थे न, उस सपने को हमारे नेताओं ने बेच दिया, आपको तो पता ही होगा, सपनों का मरना जब इतना दुःखदायी होता है तब जबरन सपनों को बेंच दिया जाए तब कितना कष्ट होता होगा । आप जिस कुर्सी पर बैठकर भारत को गौरवांवित किया था, आज उस कुर्सी पर खून के धब्बे लग गए हैं क्योंकि बहुत से रक्तपिपासु लोगों ने उसपर अपनी गिद्धदृष्टि डाल कर उस कुर्सी को कलंकित किया ।
बापू और शास्त्री जी, आप दोनों की भारत को अब बहुत जरूरत है, प्लीज् आप दोनों अपना हठ छोड़िये, आ जाइये भारत में एकबार फिर । क्योंकि यहाँ के लोगों से अब कोई उम्मीद नहीं बची ।
आपका बच्चा
उज्ज्वल सिंह 'उमंग'

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